लॉकडाउन के कारण शहरों से पलायन कर पैदल ही अपने मूल गृह राज्यों की ओर जाने को मजबूर उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूर रविवार को राज्य सरकार की अनदेखी ने नाराज होकर सड़क पर उतर आए और यातायात बाधित कर अपने गुस्से का इजहार किया।
मजदूरों के लिए सरकारों की ओर से पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जाने से नाराज सैकड़ों प्रवासी मजदूरों ने रविवार को मथुरा जिले के अंतर्गत आने वाले रायपुरा जाट क्षेत्र में मथुरा-आगरा राजमार्ग को रोक दिया। इन प्रवासी मजदूरों की मांग है कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में उनके घरों तक भेजने के लिए सरकार द्वारा व्यवस्था की जाए।
गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 22 मार्च को एक दिन के जनता कर्फ्यू और फिर देशव्यापी लॉकडाउन लागू किए जाने के कारण निर्माण कार्य, फैक्ट्रियां और औद्योगिक उत्पादन बंद है। इसके चलते प्रवासी श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। आर्थिक संकट के चलते इनके पास खाने और मकान का किराया देने या घर जाने तक के पैसे नहीं बचे हैं।
Mathura: Migrant workers block Mathura-Agra Highway in Raipura Jat area, demanding that arrangements be made by the govt to send them to their homes in different districts of Uttar Pradesh. pic.twitter.com/76GKgw8m4S
— ANI UP (@ANINewsUP) May 17, 2020
बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह की शुरुआत में कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लागू देशव्यापी लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को राहत देने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 10 प्रतिशत यानी 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। इसमें 27 मार्च को तीन महीने के लिए गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न और नकदी के जरिये 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के माध्यम से 5.6 लाख करोड़ रुपये के किए गए उपाय भी शामिल हैं।
पिछले 5 दिनों में पांच किस्तों में सरकार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की जा चुकी है। घोषित किए गए उपायों में छोटे व्यवसायों, रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं, किसानों और गरीब प्रवासियों के साथ-साथ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) और बिजली वितरकों के लिए राहतें दी गई हैं।
देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है। इसे अभी तक दो बार बढ़ाया जा चुका है। एक अनुमान के अनुसार, लॉकडाउन के कारण अप्रैल में 12.2 करोड़ लोग बेरोजगार हो सकते हैं और उपभोक्ता मांग समाप्त बहुत नीचे जा सकती है।