मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा का एक ट्वीट वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने बिहार के नेकदिल इंसानों की तारीफ की जो ट्रेन के कुछ दिन पहले जिले में रुकने पर उसमें सवार यात्रियों के लिए खाना और पानी लेकर पहुंचे। मुख्यमंत्री के पोस्ट को करीब 5,800 बार ट्वीट किया गया और अब तक उसे 21,000 से ज्यादा लोग पसंद कर चुके हैं।
Few days after stranded Mizos offers their food to flood-affected victims on their way back, a brief halt of their #ShramikSpecialTrain at #Begusarai Bihar witnessed good #Samaritans offering them food in return!
Goodness for goodness.#India is beautiful when flooded with #Love pic.twitter.com/6aPs3BQoc1— Zoramthanga (@ZoramthangaCM) May 30, 2020
दरअसल कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान बिहार के बेगूसराय जिले में विशेष रेलगाड़ियों के रुकने पर यहां के एक साधारण से गांव के लोगों द्वारा अतिथियों के सत्कार की मिसाल पेश किए जाने की खबरें दिलों की जीत रही है। और इस पर मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा के ट्वीट ने इस खबर को और खास बना दिया।
जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक कुमार सिंह को सुखद आश्चर्य हुआ जब उन्होंने यहां से हजारों किलोमीटर दूर, मिजोरम में प्रकाशित समाचार में बेगूसराय का जिक्र देखा। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा ट्वीट में लिखा कि मिजोरम के फंसे हुए लोगों के लौटने के दौरान बाढ़ प्रभावित लोगों को अपना खाना देने के कुछ दिन बाद, बिहार के बेगूसराय में श्रमिक स्पेशल ट्रेन के कुछ देर रुकने के दौरान, नेक दिल इंसानों ने बदले में उन्हें भोजन दिया। उन्होंने कहा कि अच्छाई के बदले अच्छाई। प्रेम उमड़ता है तो भारत खूबसूरत हो जाता है।
मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने 30 सेकेंड का एक छोटा सा वीडियो क्लिप भी साझा किया जिसमें ग्रामीण पानी की बोतलों और खाने के पैकेट से भरी टोकरियां लाते दिख रहे हैं। यह वीडियो ट्रेन के कंपार्टमेंट से बनाया गया है जो क्षेत्र, भाषा और जातीयता से ऊपर उठकर दया-करुणा की दिल खुश करने वाली तस्वीर सामने रखती है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के शुरुआती चरणों में पूर्वोत्तर के लोगों को “चीनी लोग” बुलाकर उनके साथ किए गए भेदभाव की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद यह एक अच्छी खबर है।
हालांकि ग्रामीणों को अपनी इस लोकप्रियता के बारे में तनिक भी आभास नहीं है। जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि इन लोगों के बारे में बस इतना पता है कि वे बलिया उपसंभाग के तहत आने वाले गांवों के निवासी हैं और स्पेशल ट्रेनें चलाए जाने के बाद से वे यह काम कर रहे हैं। सालेह चक पंचायत प्रमुख फैज-उर-रहमान ने कहा कि हम किसी संगठन का हिस्सा नहीं है और न ही हमें कोई लोकप्रियता चाहिए। रहमान ने कहा कि हम साधारण लोग हैं जो अच्छाई में यकीन करते हैं और जो है उसे साझा करना पसंद करते हैं, यह मानते हैं कि जो हमारे पास है वह अल्लाह की देन है।
वहीं स्थानीय निवासी मोहम्मद राशिद ने कहा कि हम पानी को बोतल, पूरी-सब्जी के पैकेट, चूड़ा, मुढ़ही, बिस्किट, फल और दूध तैयार रखते हैं। सिग्नल के कारण ट्रेनों के यहां रुकने पर हम ये सामान लेकर पहुंच जाते हैं। यात्रियों के चेहरे पर हम जो मुस्कान देखते हैं, वही हमारा सबसे बड़ा इनाम है।