पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को जल-जीवन-हरियाली मिशन की शुरुआत की. साथ ही जल-जीवन-हरियाली पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया. इस मौके पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, नंद किशोर यादव, श्रवण कुमार, सांसद रामकृपाल यादव समेत कई लोग मौजूद हैं.
ज्ञान भवन में आयोजित जल-जीवन-हरियाली कार्यकम में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में हरित आवरण 15 फीसदी तक हो चुका है. अभी तक 19 करोड़ पौधे लगाये जा चुके हैं. हरित आवरण का लक्ष्य रखा गया है. बाढ़, सुखे से निबटने के लिए सरकार काम कर रही है. बरसात में बाढ़ आने पर प्रभावित इलाकों का पानी नालंदा ले जायेगा. गंगा का पानी चार महीनों तक भेजा जायेगा. जिससे पूरे साल पीने का पानी मिलेगा. उन्होंने कहा कि सूबक के हर कुएं का जीर्णोद्धार किया जायेगा. सार्वजनिक स्थल के चापाकल को ठीक कराया जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के घर-घर में हमने बिजली पहुंचाने का काम किया है. साथ ही कहा कि पानी के दुरुपयोग को रोकना होगा. अगर पानी का दुरुपयोग नहीं रोका गया, तो एक दिन भू-जल समाप्त हो जायेगा. उन्होंने कहा कि भू-जल को बचाने के लिए सरकार ने पेड़ लगाने पर जोर दिया है.
कार्यकम में मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि सूबे के सभी जिलों के 8500 जगहों पर एक साथ कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इस योजना के तहत तीन साल में 24 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च होंगे. अबतक तीन लाख कुओं को चिह्नित किया जा चुका है. बनाये जा रहे चापाकलों के पास सोखता भी बनाया जायेगा. उन्होंने कहा कि जल का संरक्षण हमे करना होगा. बिजली की बचत करनी होगी. सरकार के विभागीय कार्यालयाें में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की जायेगी. बाढ़ के दिनों में प्रभावित इलाकों का पानी दूसरे क्षेत्रों में ले जाने की योजना है. वैकल्पिक ऊर्जा को प्रोमोट किया जायेगा.
सूबे के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि मैं जिस विभाग का मंत्री हूं, उस विभाग में ज्यादा पेड़ कटाई होती है. सड़क निर्माण में पेड़ की कटाई नहीं होगी. पेड़ काट कर उसे दूसरी जगह पर लगाया जायेगा. पटना से इसकी शुरुआत हो चुकी है. वहीं, पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान भविष्य बनाने की योजना है. साल 2030 तक पानी की मांग आज से दोगुनी हो जायेगी. पृथ्वी पर पीने का पानी मात्र चार फीसदी है. वहीं, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि इस वर्ष 1.12 करोड़ पौधे अब तक लगाये जा चुके हैं. अगले वर्ष 2.5 करोड़ पौधे लगाये जाने की योजना है. अगले तीन वर्षो में 7 करोड़ 70 लाख पौधे लगाये जायेंगे.
मुख्यमंत्री द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत करने के बाद सभी जिलों, प्रखंडों और पंचायत स्तर पर कम से एक योजना की शुरुआत हो गयी. जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत नौ क्षेत्रों में काम किये जाने हैं. सूबे के 12 विभागों को तीन वर्षों में योजना को पूरा करना है. इस योजना पर 24,524 करोड़ रुपये के खर्च का प्रस्ताव है. इस योजना के तहत 62,412 तालाब, आहर, पइन और पोखर का जीर्णोद्धार-निर्माण किया जायेगा. साथ ही 81,201 सार्वजनिक कुओं का भी जीर्णोद्धार किया जायेगा. कुएं के साथ-साथ चापाकल, नलकूप के किनारे सोखता या जल रिचार्ज का निर्माण भी कराया जायेगा. छोटी नदियों, नालों के अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में जल संग्रह के लिए चेकडैम एवं अन्य संरचनाओं का निर्माण कराये जाने के साथ-साथ 32,139 नये जल स्रोतों का सृजन किया जायेगा. 104922 रेन वॉटर हर्वेस्टिंग के साथ-साथ सात करोड़ 70 लाख पौधे ग्रामीण विकास विभाग और पर्यावरण विभाग द्वारा लगाये जायेंगे. जैविक खेती 60 हजार एकड़ में करायी जायेगी. साथ ही 43245 हेक्टेयर खेतों में ड्रिप सिंचाई से पटवन की व्यवस्था होगी. सरकारी भवनों पर तीन साल के दौरान 60 मेगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही निजी भवनों से तीन साल के दौरान 60 मेगावॉट बिजली उत्पादन किये जाने की योजना है.