साइबर अपराध की बढ़ती चुनौतियों के बीच उसे रोकने को लेकर बिहार पुलिस की कोशिशें रंग लाने लगी हैं। हाल में ही पुलिस प्रमुखों के सम्मेलन के दौरान कई राज्यों द्वारा विशेष साइबर यूनिट पर पेश रिपोर्ट में बिहार मॉडल की जमकर सराहना की गई। इसकी वजह पुलिस के साथ कम्प्यूटर विशेषज्ञों का बेहतर तालमेल है।
बिहार में हर यूनिट में चार कम्प्यूटर विशेषज्ञ
बिहार पुलिस में लम्बी कवायद के बाद साइबर यूनिट का गठन किया गया है। हर यूनिट में 10 लोगों की टीम है। इसमें एक इंस्पेक्टर, तीन सब-इंस्पेक्टर और दो सिपाही शामिल हैं। वहीं, कम्प्यूटर व साइबर विशेषज्ञ के तौर पर एक प्रोग्रामर के साथ तीन डाटा इंट्री ऑपरेटरों को रखा गया है। सभी यूनिट को अलग-अलग जरूरी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर मुहैया कराए गए हैं। यूनिट के गठन में शामिल एक वरीय पुलिस अधिकारी के मुताबिक साइबर क्राइम का न तो कोई थाना क्षेत्र होता है न ही उसे किसी सीमा में बांधा जा सकता है। इस अपराध में कहीं न कहीं कम्प्यूटर का इस्तेमाल होता है। लिहाजा इसकी जांच के लिए विशेषज्ञ का होना आवश्यक है। कम्प्यूटर जानकार जहां अपराधियों तक पहुंचने में मदद करते हैं, वहीं पुलिस केस डायरी लिखने और दूसरी कानूनी कार्रवाई से लेकर गिरफ्तारी और छापेमारी में अपना योगदान देती है। दोनों को साइबर यूनिट की टीम में शामिल करने का मकसद यही है।
74 यूनिटों का गठन
बिहार में कुल 74 साइबर यूनिट का गठन किया गया है। इनके जिम्मे ऑन लाइन और बैंक से संबंधित धोखाधड़ी के मामलों को सुलझाने से लेकर महिलाओं और बच्चों के प्रति होनेवाले साइबर अपराध को रोकना है।
19 राज्यों में विशेष साइबर यूनिट
आंध्र प्रदेश-5, अरुणाचल प्रदेश-1, आसाम-3, छत्तीसगढ़-28, चंडीगढ़-1, गोवा-2, गुजरात-41, हिमाचल प्रदेश-1, जम्मू-कश्मीर-2, झारखंड-7, पंजाब-2, राजस्थान-8, तेलंगाना-27, तमिलनाडु-1, मध्यप्रदेश-6, नागालैंड-1, ओडिशा-4, त्रिपुरा-1, उत्तराखंड-15
एक हजार मामले आते हैं हर साल
बिहार में साइबर से जुड़े करीब एक हजार मामले सालभर में दर्ज होते हैं। यह मूलत: तीन तरह के होते हैं। बैंक और ऑनलाइन से जुड़ी धोखाधड़ी और महिलाओं को तंग करने की नीयत से वीडियो वायरल करने, फेसबुक पर फेक आईडी बनाने या अश्लील मैसेज भेजने जैसे मामले ज्यादा होते हैं। सभी जिलों में साइबर यूनिट के गठन से इन मामलों को सुलझाने में आसानी होगी और अपराधी भी पकड़े जाएंगे।
बिहार ने साइबर क्राइम के निपटने के लिए बेहतर व समग्र टीम बनाई है। विशेषज्ञों के लिए पद सृजित किए गए हैं। यह टीम समग्र रूप से आधुनिक चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।
– जेएस गंगवार, एडीजी, ईओयू